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जांच के लिए महाकाल मंदिर पहुंचा एएसआइ, जीएसआइ का दल ज्योतिर्लिंग क्षरण केस
उज्जैन ।महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग क्षरण मामले में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) और भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआइ) का दल सोमवार को महाकाल मंदिर पहुंचा। दल ने भगवान महाकाल को अर्पित किए जाने वाले आरओ जल के नमूने लिए हैं। दल के सदस्य मंगलवार को भस्म आरती में शामिल होंगे।
इस दौरान भगवान को चढ़ने वाली भस्म व अन्य पूजन सामग्री के नमूने भी लिए जाएंगे। उल्लेखनीय है कि ज्योतिर्लिंग क्षरण मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार जीएसआइ, एएसआइ और केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआइ) रुड़की के विशेषज्ञ समय-समय पर महाकाल मंदिर आते रहे हैं।
वे अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत करते हैं। सीबीआरआइ ने पूर्व में सुप्रीम कोर्ट में रिपोर्ट प्रस्तुत कर मंदिर के स्ट्रक्चर का संधारण करने का सुझाव दिया था। इस पर मंदिर समिति ने उज्जैन विकास प्राधिकरण के माध्यम से संधारण के लिए योजना तैयार की है।
दल ने शिवलिंग के क्षरण की मौजूदा स्थिति, विभिन्न द्रव्यों से पड़ने वाले प्रभाव आदि बिंदुओं की जांच भी की। जिस जल से भगवान महाकाल का अभिषेक किया जाता है, उसके नमूने भी लिए। सदस्य मंगलवार को भगवान को अर्पित होने वाली भस्म का नमूना लेंगे। भस्म के पीएच मानक की जांच कराई जाएगी।
क्या है क्षरण मामला
सन् 2017 में उज्जैन की सारिका गुरु ने ज्योतिर्लिंग महाकाल के क्षरण को लेकर हाई कोर्ट में याचिका लगाई थी। इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा। सुप्रीम कोर्ट ने विशेषज्ञों की टीम गठित कर क्षरण संबंधी रिपोर्ट तैयार करवाई। रिपोर्ट में क्षरण रोकने के लिए उपायों को बताया गया।
इसके आधार पर कोर्ट ने मंदिर समिति को कई निर्देश दिए थे। इनमें आरओ जल से शिवलिंग का अभिषेक करने, भगवान के शृंगार में भाग की मात्रा सीमित करने, भक्तों के पंचामृत अर्पित करने पर रोक लगाने, भगवान महाकाल के शृंगार में उपयोग होने वाले चांदी के आभूषणों का वजन कम करने, शिवलिंग पर कपड़ा ढंककर भस्म चढ़ाने सहित कई निर्देश शामिल थे।
कोर्ट ने जीएसआइ, एएसआइ के माध्यम से समय-समय पर ज्योतिर्लिंग व मंदिर का निरीक्षण कराने के निर्देश भी दिए थे। 26 दिसंबर को आएगा दूसरा दल बताया जाता है सोमवार को उज्जैन पहुंचे विशेषज्ञ समिति के सदस्य दो दिन विभिन्न बिंदुओं पर जांच करेंगे। इसके बाद 26 दिसंबर को दूसरा दल आएगा, जो ज्योतिर्लिंग क्षरण की मौजूदा स्थिति तथा मंदिर स्ट्रक्चर की मजबूती आदि की जांच करेगा।